
ऑक्सीजन का सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए एम्स डायरेक्टर, डॉ रणदीप गुलेरिया ने दिए निर्देश।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स के डायरेक्टर, डॉ रणदीप गुलेरिया ने ऑक्सीजन को सही से इस्तेमाल करने के निर्देश देते हुए कहा कि," यह बात सत्य है, कि ऑक्सीजन सिस्टम पर इलाज करवा रहे मरीज के, वेंटिलेशन सिस्टम पर इलाज करवा रहे मरीज से ज्यादा बचने की संभावना होती है। लेकिन ऐसे में हमें ऑक्सीजन का सही तरीक़े से इस्तेमाल करने का भी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। यदि किसी मरीज़ के शरीर का ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 95% भी है तो उसको घबराने की जरूरत नहीं है। उस मरीज़ का ऑक्सीजन लेवल 98 -99% तक करना व्यर्थ है।
उन्होंने यह भी बताया, कि अगर किसी मरीज के शरीर में ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल 92% भी है तो उसके भी ठीक होने के काफी ज्यादा चांस होते हैं। हमने, इससे पहले भी कई ऐसे मरीजों को देखा है जो फेफड़ों की किसी घातक बीमारी से ग्रस्त हैं। यदि, उनके शरीर में 88% भी ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल पहुंच जाता था तब भी वह ठीक हो जाते थे।
उन्होंने ऑक्सीजन वेस्टेज का एक वाक्य साझा करते हुए कहा, कि,"मैंने एक ऐसा मरीज भी देखा है जो ऑक्सीजन थेरेपी पर था। जब उसको खाना खाने के लिए मास्क उतारना था, तो उसने बिना सिलेंडर को स्विच ऑफ किए मास्क उतार कर रख दिया ऐसी स्थिति में उसने सिर्फ ऑक्सीजन को बर्बाद किया। यदि हम ऐसी स्थितियों पर काबू पाना शुरू कर दें, तो हम बहुत जल्द ही ऑक्सीजन संकट से भी निपट लेंगे"।
उन्होंने यह भी कहा कि,"जो लोग घर प,र होम आइसोलेशन में अपना इलाज करवा रहे हैं वह लोग भी घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर जमा कर रहे हैं। हालांकि उन लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर के सही इस्तेमाल के बारे में ज्ञान नहीं होता। यह काम भी ऑक्सीजन को व्यर्थ बर्बाद करने को ही दर्शाता है"।
यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री ने गाइडलाइन जारी की है, जिसका इस्तेमाल होम आइसोलेशन वाले मरीज कर सकते हैं। इन गाइडलाइंस में उन शारीरिक दशा के बारे में बताया गया है, जिसका इस्तेमाल करके मरीज को सांस लेने की दिक्कत में काफी हद तक फायदा मिल सकता है।
एक्सपर्ट की तरफ से यह सलाह भी दी गई है, कि हर 15 मिनट के बाद ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल को ज़रूर चेक करना चाहिए।