
कोरोना संकट से जूझ रहे देश के सामने बढ़ती थोक महंगाई (WPI) ने खड़ी करी नई चुनौती। मार्च के महीने के मुकाबले 3.83 फीसदी बढ़कर थोक महंगाई (WPI) अप्रैल में 10.49 प्रतिशत पर पहुंची।
देश मे थोक मंहगाई (WPI) की दर में वृद्धि लगातार जारी है। भारत में अब थोक महंगाई (WPI) अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने थोक महंगाई (WPI) वृद्धि पर रिपोर्ट्स जारी की हैं। इन रिपोर्ट्स के अनुसार, अप्रैल के महीने में थोक महंगाई (WPI) बढ़कर 10.49 प्रतिशत हो गयी है। मार्च के महीने में जो थोक महंगाई (WPI) का जो स्तर 7.29 फीसद था, उसमें 3.83 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। इससे पहले, फरवरी माह में यही थोक महंगाई (WPI) 4.17 फीसदी रही थी। अप्रैल माह में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची थोक महंगाई (WPI) के कई कारण है। महंगे पेट्रोल और डीजल के साथ कोरोना संकट इन कारणों में मुख्य हैं।
कोरोना की दूसरी लहर का दंश झेल रहे देश के नागरिकों के लिये थोक महंगाई (WPI) के आंकड़े और दुःख लेकर आये है। आंकड़ो के अनुसार, देश मे ज़रूरी सामानों के दाम में औसतन 3.83 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से माल के आवागमन में अधिक खर्चा आएगा, जिससे उत्पादन की लागत भी बढ़ेगी और खर्चा आम आदमी की जेब को उठाना पड़ेगा। इसके अलावा कच्चे तेल, रसोई गैस और धातुओं के दाम भी बढ़े हैं।
अप्रैल माह की थोक महंगाई (WPI) की रिपोर्ट में वाणिज्य मंत्रालय ने बताया, कि देश में खाद्य सामग्रियों की इन्फ्लेशन (inflation) 4.92 प्रतिशत रही है। देश में सब्जियों के दामों में 9.03 प्रतिशत की कमी आयी है, लेकिन अंडे, मांस और मछली की कीमतों में 10 प्रतिशत से अधिक का उछाल आया है। इसी तरह थोक महंगाई (WPI) का सिलसिला, दालों और फलों में भी नज़र आया है।
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