
भारतीय सेना (Indian Army) विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है. पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सेना का ध्यान भविष्य में लड़े जाने वाले युद्धों की तरफ रहा है. भारतीय सेना खुद को भविष्य के लिए तैयार कर रही है. भविष्य के लिए तैयार हथियार और साजो-सामान की जरूरत भारतीय सेना को भविष्य में मजबूत बनाने के लिए है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) जिसे हम डीआरडीओ के नाम से जानते हैं, भारतीय सेना के लिए यह साजो-सामान तैयार कर रहा है.
अब खबर है कि डीआरडीओ एक इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेलगन बनाने की तैयारी शुरू कर चुका है. इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेलगन एक तोप है, जिसे भविष्य के लिहाज से तैयार किया जा रहा है. यह तोप 200 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है. उम्मीद जताई जा रही है, कि अगर आने वाले समय में इस हथियार को भारतीय सेना के खेमे में शामिल कर लिया जाता है, तो यह जल, नभ और थल तीनों ही सेनाओं में सबसे घातक हथियार होगा.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह तोप गोला दागने के लिए बारूद का नहीं, बल्कि इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड का इस्तेमाल करेगी. इसी वजह से इसको इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेल गन का नाम दिया है. सूत्रों की मानें, तो पुणे में स्थित प्रयोगशाला में आयुध धावन और विकास प्रतिष्ठान यानी एआरडीई (ARDE) ने इस हथियार को बनाने पर काम भी शुरू कर दिया है. इस तोप में इलेक्ट्रिक करंट के द्वारा गतिय ऊर्जा पैदा की जाती है, जो एक गोले की रफ़्तार को 6 से 7 गुना तक बढ़ा देती है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस तोप से निकले गोले की गति ध्वनि की रफ़्तार से भी तेज़ होगी.
डीआरडीओ में पूर्व वैज्ञानिक रह चुके डॉक्टर रवि गुप्ता का कहना है, कि भारत के साथ-साथ अमेरिका और रूस समेत कई अन्य देश भी इस तकनीक पर काम कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने बताया, कि अगर बात इसकी क्षमता कि की जाए, तो यह तोप समुद्र में दुश्मन के जहाज़ों, मिसाइल हमलों और आकाश में दुश्मन के वायुयान तक को गिराने में सक्षम होगी. यह तोप बनकर कब तैयार होगी इस विषय पर अभी कोई निश्चित जानकारी तो प्राप्त नहीं है, लेकिन यह निश्चित ही भारतीय सेना को भविष्य में और मजबूती प्रदान करेगी, जो भविष्य के लिहाज से ज़रूरी है.
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