
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिखकर कहा, “आतंकवादियों द्वारा लक्षित हत्या के शिकार कश्मीरी पंडितों को बिना सुरक्षा गारंटी के घाटी में जाने के लिए मजबूर करना एक क्रूर कदम है.” साथ ही, कांग्रेस नेता ने यह भी कहा, कि भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान कश्मीरी पंडितों के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर चर्चा करने और उनकी दुखद स्थिति को बताने के लिए उनसे मुलाकात भी की.
पीएम मोदी (PM Modi) को लिखे गए पत्र में कांग्रेस नेता ने कहा है, कि कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें बताया कि सरकारी अधिकारी उन्हें कश्मीर लौटने के लिए मजबूर कर रहे हैं." वहीं, सुरक्षा की गारंटी के बिना कश्मीर में अपने काम पर लौटने के लिए मजबूर करना एक क्रूर कदम है. मेरा मानना है, कि सरकार इन कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारियों को अन्य विभागों में समायोजित कर सकती है.
आगे राहुल गांधी ने कहा, कि ऐसी स्थिति में जहां कश्मीरी पंडित अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा ‘भिखारी जैसे शब्दों’ का इस्तेमाल करना ‘बहुत गैर-जिम्मेदार’ था. राहुल द्वारा पत्र में ऐसा कहा गया है, कि “उपराज्यपाल का उनके लिए 'भिखारी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना बेहद गैरजिम्मेदाराना है. शायद आप स्थानीय प्रशासन के असंवेदनशील रवैये से वाकिफ नहीं हैं.”
इससे पहले, राहुल गांधी ने कश्मीरी पंडितों से केंद्रीय योजना के तहत भर्ती किए गए कर्मचारियों को कथित रूप से यह कहने के लिए जम्मू-कश्मीर एलजी से माफी मांगने की मांग की थी, कि उन्हें भीख नहीं मांगनी चाहिए.
आपको बता दें, कि साल 2008 में घोषित प्रधानमंत्री के रोजगार पैकेज के तहत लगभग 4000 कश्मीरी प्रवासी पंडित विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं. हालांकि, बडगाम जिले में अपने एक सहयोगी राहुल भट की उनके कार्यालय के अंदर आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद कई कर्मचारी जम्मू भाग गए. गौरतलब है, कि इस घटना को कश्मीरी पंडितों के खिलाफ़ लक्षित हत्या का मामला बताया गया था.
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