
गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने बुधवार 28 सितंबर 2022 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) यानी PFI और इसके स्टूडेंट विंग, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (Campus Front of India) सहित इसके प्रमुख संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act ) यानी UAPA के तहत एक ‘गैरकानूनी संघ’ घोषित कर दिया है. साथ ही, 8 सहयोगियों के साथ 5 सालों के लिए प्रतिबंधित भी कर दिया.
गृह मंत्रालय ने कहा, “पीएफआई कैडरों द्वारा आपराधिक गतिविधियों, नृशंस हत्याओं और शांति भंग करने के साथ ही, लोगों के मन में आतंक का शासन बनाने के एकमात्र उद्देश्य के कारण, इसे तत्काल प्रभाव से बैन किया गया है.”
लगे गंभीर आरोप
मिली जानकारी के मुताबिक, शुरू से ही विवादित इस संगठन पीएफआई को देशविरोधी और हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. इतना ही नहीं, नागरिकता संशोधन कानून के दौरान शाहीनबाग हिंसा, जहांगीरपुरी हिंसा से लेकर उत्तर प्रदेश में कानपुर हिंसा, राजस्थान के करौली हिंसा, मध्य प्रदेश के खरगौन हिंसा और कर्नाटक में भाजपा नेता की हत्या में भी इस संगठन का नाम आ चुका है. वहीं, अब इसके ऊपर भारत विरोधी एजेंडा चलाने का भी आरोप लगा है, जिसके सबूत जांच एजेंसियों को मिले हैं. इसके साथ ही, इस पर गैर-कानूनी तरीके से फंड लेने और कट्टरपंथ फैलाने का आरोप भी लगा है.
क्या है PFI?
आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि पीएफआई केरल से संचालित होने वाला एक कट्टर इस्लामिक संगठन है, जो खुद को मजबूर और वंचितों की आवाज़ की तरह पेश करता है. यह संगठन, 22 नवंबर 2006 को 3 मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था, जिसमें कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी (KFD), केरल के नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) और तमिलनाडु के मनिता नीति पसरई (MNP) के नाम शामिल हैं.
इन संगठनों पर लगा बैन
भारतीय केंद्र सरकार द्वारा जारी हुई सूची के मुताबिक, पीएफआई के अलावा इसके 8 सहयोगी संगठनों को भी 5 सालों के लिए बैन किया गया है. इनमें रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और केरल का रिहैब फाउंडेशन जैसे सहयोगी संगठन शामिल हैं.
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