NIA Raid: शिकंजे में आए बहुत सारे नाम, क्या है ‘ऑपरेशन ऑक्टोपस' का सच?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी National Investigation Agency (NIA) से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इस सप्ताह की शुरुआत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी Popular Front of India (PFI) के परिसरों पर हुई छापेमारी को 'ऑपरेशन ऑक्टोपस' नाम दिया गया है. इसके अलावा, इस ऑपरेशन से जुड़े सभी अधिकारियों को आदेश दिया गया है, कि वह गोपनीयता बनाएं रखें. माना जा रहा है, कि एजेंसी इससे जुड़े पूरे नेटवर्क का पता लगाना चाहती है.
कार्यवाही की वजह और आरोप
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, जांच एजेंसी से जुड़े अधिकारियों ने कहा है, कि यह संगठन कथित लव जिहाद की घटनाओं, जबरदस्ती धर्म परिवर्तन और नागरिकता अधिनियम के खिलाफ़, देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों में अपनी भूमिका बनाने की वजह से उनकी नज़र में था. इतना ही नहीं, कई हिंसक घटनाओं में भी पॉपुलर फ्रंट का नाम देखा गया था. साथ ही, इससे सम्बंधित नेताओं और सदस्यों के खिलाफ़ पिछले कुछ सालों में अलग-अलग राज्यों में काफ़ी आपराधिक मामले भी दर्ज किए गए हैं.
जांच एजेंसी से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पॉपुलर फ्रंट के खिलाफ़ पहले की गई जांच के तहत, 45 लोगों को दोषी ठहराया है. वहीं, इन मामलों के संबंध में कुल 355 लोगों के खिलाफ़ आरोपपत्र दाखिल किया गया था. गौरतलब है, कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा की गई इस रेड में, देश में आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए पॉपुलर फ्रंट के 106 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. इनमें सबसे अधिक गिरफ्तारी केरल में हुआ, जहां 22 लोगों को पकड़ा गया. इसके बाद महाराष्ट्र (20), कर्नाटक (20), तमिलनाडु (10) असम (9), उत्तर प्रदेश (8), आंध्र प्रदेश (5), मध्य प्रदेश (4), पुडुचेरी (3), दिल्ली (3) और राजस्थान (2) में भी लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की स्थापना साल 2006 में हुई थी. वहीं, आज के समय में इसकी केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर समेत 2 दर्जन से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में और भी शाखाएं मौजूद हैं.
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