
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी (Rashid Alvi) ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर (S Abdul Nazeer) की आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति को लेकर भाजपा की केंद्र सरकार पर सीधे तौर पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया, कि सर्वोच्च न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले (Ram Janmabhoomi - Babri Masjid Case) में केंद्र सरकार के दबाव में फैसला सुनाया था.
आपको बता दें, कि न्यायमूर्ति नज़ीर उस पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने 2019 में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में अंतिम फैसला सुनाया था. वहीं, राशिद अल्वी ने कहा, “लोग राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं, कि यह केंद्र सरकार के दबाव में दिया गया था. न्यायपालिका को हमारे संविधान के अनुच्छेद 50 के तहत कार्यपालिका से स्वतंत्र होना चाहिए.”
अल्वी ने सत्तारूढ़ भाजपा पर देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का भी आरोप लगाया और आगे दावा किया, कि न्यायमूर्ति नजीर को आंध्र के राज्यपाल के रूप में नियुक्त करने से न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कम हुआ है.
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अल्वी ने आगे यह भी कहा, "भाजपा ने हिंदुओं और मुसलमानों को विभाजित किया है. तुष्टिकरण तब होता है जब एक समुदाय को उसके लायक से अधिक मिलता है, लेकिन मुसलमानों को उनका उचित हिस्सा भी नहीं मिलता है. न्यायमूर्ति नज़ीर को राज्यपाल के रूप में नियुक्त करना न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को कम कर रहा है."
वहीं, हाल ही में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस अब्दुल नज़ीर को आंध्र प्रदेश के तीसरे राज्यपाल के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की है. गौरतलब है, कि न्यायमूर्ति नज़ीर ट्रिपल तालक मामले, अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद मामले, निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, विमुद्रीकरण मामले सहित कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा थे.
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