
पूरे देश में जहां ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) और प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 (Places of Worship Act, 1991) चर्चा में बना हुआ है. वहीं, आज देश में प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 (AMASR 1958) की चर्चा हो रही है. इस अधिनियम की चर्चा आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के द्वारा कुतुब मीनार (Qutub Minar) में पूजा की मांग को लेकर दायर याचिका के विरोध से हुई है.
आपको बता दें, कि कुतुब मीनार में पूजा की मांग को लेकर दायर हिंदू पक्ष की याचिका का आज ASI ने विरोध किया है. ASI ने साकेत कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा, कि कुतुब मीनार की पहचान बदली नहीं जा सकती. दरअसल, दिल्ली की साकेत कोर्ट (Saket Court) में कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू और जैन देवी-देवताओं की बहाली और पूजा के अधिकार की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है. याचिका में दावा किया गया है, कि कुतुब मीनार परिसर में हिंदू देवी देवताओं की कई मूर्तियां मौजूद हैं.
ASI ने कहा है, कि ये पुरातात्विक स्मारक है. लिहाजा यहां किसी को पूजा पाठ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. पुरातात्विक संरक्षण अधिनियम 1958 के मुताबिक, संरक्षित स्मारक में सिर्फ पर्यटन की इजाजत है. किसी भी धर्म के पूजा पाठ को नहीं. ASI ने अपने जवाब में आगे कहा, कि जब कुतुब मीनार परिसर ASI के संरक्षण में आया, तब वहां किसी भी धर्म की पूजा-पाठ नहीं हो रही थी.
ASI ने आगे कहा कि “AMASR अधिनियम 1958 के तहत कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत किसी भी जीवित स्मारक पर पूजा शुरू की जा सकती है. माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 27/01/1999 में इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है”.
कुतुब मीनार में ASI ने बंद करवाई नमाज
कुतुब मीनार के मसले पर आज कोर्ट में सुनवाई हो रही है. इससे पहले कुतुब मीनार की मस्जिद के इमाम शेर मोहम्मद ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा, कि ASI ने कुतुब मीनार में नमाज पढ़ना बंद करवा दिया है. इमाम ने कहा, कि 13 मई जुम्मा (शुक्रवार) से कुतुब मीनार में नमाज पढ़ना बंद करवा दिया गया है.