Gyanvapi Row Latest Updates: इलाहाबाद हाईकोर्ट में टला मामला, अब 6 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

Gyanvapi Row Latest Updates: इलाहाबाद हाईकोर्ट में टला मामला, अब 6 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) और विश्वेवश्वर नाथ मंदिर (Vishwanath Temple) विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने शुक्रवार को सुनवाई 6 जुलाई तक के लिए टाल दी है. अदालत ने आज सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलीलों को सुना और कहा, कि अब इस मसले पर कोर्ट की गर्मियों की छुट्टी के बाद यानी 6 जुलाई को सुनवाई होगी.

अब इलाहाबाद हाईकोर्ट को यह तय करना है, कि 31 साल पहले, साल 1991 में वाराणसी जिला कोर्ट में दायर विवाद की सुनवाई हो सकती है या नहीं. आपको बता दें, कि इससे पहले अदालत ने सोमवार को मामले की सुनवाई की थी और अगली सुनवाई के लिए आज यानी 20 मई की तारीख दी थी.

जुमे की नमाज के लिए दिखी भीड़

आपको बता दें, कि शुक्रवार 20 मई को ज्ञानवापी मस्जिद में अच्छी खासी संख्या में लोग नमाज पढ़ने के लिए पहुंचे. भारी संख्या में लोगों के पहुंचने के बाद, मस्जिद कमेटी को यह अपील करनी पड़ी कि लोग भीड़ के चलते नमाज के लिए दूसरी मस्जिदों में चले जाएं. वहीं, मस्जिद कमेटी ने कहा, कि लोग घर पर या दूसरी मस्जिदों में जाकर नमाज अदा करें. लेकिन, इस अपील का असर नमाजियों पर नहीं पड़ा. मस्जिद में भारी मात्रा में भीड़ जमा हो जाने से दरवाजा बंद करना पड़ गया. मौलाना ने कहा, कि अगर लोगों को न रोकते तो कम से कम 50 हजार नमाजी मस्जिद में घुस जाते.

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिए तीन सुझाव

ताजा जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर सुनवाई शुरू हो चुकी है. आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि ज्ञानवापी मस्जिद केस की सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, कि हम तीन सुझाव देते हैं. पहला, ट्रायल कोर्ट को इस मामले का निपटारा करने दें. दूसरा, हमने एक अंतरिम आदेश पारित किया है, जिसमें ट्रायल कोर्ट को किसी भी आदेश को देने पर रोक लगाई है उसे जारी रखा जाए और तीसरा यह, कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए ट्रायल कोर्ट को ही मामले में सुनवाई करनी दी जाये.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, कि जिला जज अनुभवी होते हैं. उन्हें निर्देश नहीं दे सकते. इस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा, कि ट्रायल कोर्ट का आदेश अवैध है उसे रद्द किया जाए.

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