बीजेपी ने चली सियासी चाल, आखिर क्यों द्रौपदी मुर्मू को बनाया राष्ट्रपति पद का उमीदवार? जानें यहाँ

बीजेपी ने चली सियासी चाल, आखिर क्यों द्रौपदी मुर्मू को बनाया राष्ट्रपति पद का उमीदवार? जानें यहाँ

देश के सर्वोच्च पद, यानी राष्ट्रपति के चुनाव (Presidential Election) के लिए देश में सरगर्मी बढ़ती ही जा रही है. भारत को राष्ट्रपति के रूप में कौन मिलेगा, ये तो 18 जुलाई की तारीख तय करेगी. पर तब तक, एक नज़र डालते हैं राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार, द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) पर.

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर विपक्ष ने पूर्व भाजपा (BJP) नेता यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) पर दांव खेला है. वहीं, भाजपा की एनडीए (NDA) ने द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में देखना ये है, कि विपक्ष की एकता और भाजपा में से कौन ये बाज़ी मारता है.

कौन हैं द्रौपदी मुर्मू ?

NDA के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू, ओडिशा के एक बेहद ही पिछड़े सांथाल परिवार से आती हैं. 1997 से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफ़र, काफ़ी संघर्षपूर्ण पर कामयाब रहा है. साल 2000 में, वें विधायक बनीं और भाजपा- बीजेडी (BJD ) सरकार में उन्हें 2 बार मंत्री बनने का मौका भी मिला. वहीं, 2015 में उन्हें झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था.

कितना भारी है द्रौपदी मुर्मू का पलड़ा ?

NDA की ओर से द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी घोषित किया गया है. फिलहाल, एनडीए के पास कुल 5,26,420 वोट हैं, जबकि राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए 5,39,420 वोटों की ज़रूरत है. चूंकि, द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से आती हैं, तो BJD का साथ उन्हें पहले से ही प्राप्त है. आपको बता दें, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) का समर्थन उन्हें पहले ही मिल चुका है. ऐसे में, मुर्मू को BJD के 31000 वोट मिलना तो तय है.

वहीं, अगर वाईएसआर कांग्रेस (YSR Congress) भी साथ आती है, तो वहां से भी द्रौपदी मुर्मू को 43000 वोट हासिल हो जायेंगे. इसके अलावा, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (JMM) के लिए उनका विरोध करना मुश्किल है, क्यूंकि JMM की राजनीति आदिवासियों से संबंधित है. ऐसे में अगर झामुमो पर दबाव पड़ता है, तो द्रौपदी मुर्मू को 20000 वोट और हासिल हो जायेंगे. अगर झामुमो को छोड़ भी दिया जाये, तो भी राजग के पास 6 लाख से ज़्यादा वोट हैं.

यशवंत सिन्हा का पलड़ा कमज़ोर

विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी घोषित किया गया है. पर विपक्ष की एकता होने के बावजूद, सिन्हा का पलड़ा कमज़ोर ही नज़र आ रहा है. विपक्ष के पास करीब 3,70,709 मत हैं, जिनमें यूपीए (UPA) के 2,59,000, टीएमसी (TMC) के 58000, सपा (SP) के 28,688 और वाम दल (CPI) के 25000 मत शामिल हैं.

क्यों लगी द्रौपदी मुर्मू पर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की मुहर ?

  1. द्रौपदी मुर्मू के सबसे ऊंचे पद पर बैठने से 8.9 % अनुसूचित जनजाति के वोटर्स के पास संदेश जाएगा, कि पार्टी उनके विकास पर भी ध्यान देती है. चूंकि, कई राज्यों में आदिवासी वोटर्स निर्णायक हैं, ऐसे में बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाकर उनके वोट अपनी तरफ करने की कोशिश की है.

  2. भारत की महिला वोटर्स का झुकाव भाजपा के तरफ देखा गया है, ऐसे में द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी घोषित कर, बीजेपी ने एक बार फिर महिला वोटरों का ध्यान अपनी तरफ़ खींच लिया है. अगर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव जीत जाती हैं, तो वें भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी.

  3. भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित कर, अभी से आने वाले चुनावों की तैयारी करनी शुरू कर दी है. आने वाले 2 सालों में, 18 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, जिनमें दक्षिण के 4 बड़े राज्य शामिल हैं, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और ओडिसा. वहीं, 5 राज्य ऐसे भी हैं जिनमें अनुसूचित जन जाती और आदिवासी वोटरों की संख्या काफ़ी है. इनमें झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ शामिल हैं. भाजपा के लिए इन सभी राज्यों पर द्रौपदी मुर्मू के ऊपर खेला हुआ दांव पॉजिटिव साबित हो सकता है.

  4. साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भी भाजपा ने अपना दांव खेला है. 2019 के लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति की आरक्षित 47 सीटों 31 सीटों पर जीत हासिल की थी, पर विधानसभा चुनाव में भाजपा को आदिवासी इलाकों, खासतौर पर झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा राजस्थान में हार का सामना करना पड़ा था. इसलिए, भाजपा अपनी लोकसभा की पिछली जीत को बर्क़रार रखने के लिए पूरी कोशिश कर रही है.

  5. एक आदिवासी महिला के रूप में द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी घोषित कर भाजपा ने समानता और एकता का संदेश दिया है.

कल, यानी 25 जून को द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पद के लिए नॉमिनेशन भर दिया है.

द्रौपदी मुर्मू अगर राष्ट्रपति चुनाव जीत जाती हैं, तो वें भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी. इतना ही नहीं, मुर्मू सबसे युवा राष्ट्रपति भी होंगी. फिलहाल ये रिकॉर्ड, भारत के पूर्व राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी (Neelam Sanjiva Reddy) के पास है.

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