
महीनों की खींचतान के बाद WhatsApp अब स्वेच्छा से अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को होल्ड पर रखने के लिए सहमत हो गया है. कंपनी ने यह भी कहा की उनके द्वारा उपयोगकर्ता को अपडेट करने के लिए जबरदस्ती नहीं की जाएगी. दिल्ली उच्च न्यायालय में आज WhatsApp और उसकी मूल कंपनी फेसबुक की एक याचिका पर सुनवाई हो रही थी. पहले कंपनी ने CCI के आदेशों को मानने से आनाकानी की थी.
लेकिन आज, WhatsApp के कानूनी वकील हरीश साल्वे ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ को अवगत कराया कि WhatsApp प्लेटफॉर्म उन उपयोगकर्ताओं के लिए ऐप की कार्यक्षमता को सीमित नहीं करेगा, जिन्होंने अभी तक अपनी अपडेटेड प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार नहीं किया है.
WhatsApp अपनी प्राइवेसी पॉलिसी के रोल-आउट को ओपन-एंडेड मानता है क्योंकि डेटा प्रोटेक्शन बिल के बारे में बहुचर्चित घोषणा की कोई विशेष तारीख नहीं है. साल्वे ने कहा कि कंपनी का मानना है कि ऐसी संभावना है कि बिल कंपनी को अद्यतन नीति के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दे सकता है.
साल्वे ने डेटा संग्रह पर तथ्यों को दोहराया और कहा कि WhatsApp संदेशों को नहीं देख सकता है क्योंकि वे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं. केवल फोन नंबर और उपयोगकर्ताओं के नाम जैसे डेटा के बाहरी शेल को जाना जाता है. उन्होंने आगे कहा कि यह डेटा भारत में मोबाइल कनेक्शन खरीदते समय भी एकत्र किया जाता है.
हालांकि, उच्च न्यायालय ने आरोपों के इर्द-गिर्द अपना मत रखा कि दावा किया गया है कि एकत्र किए गए डेटा को उपयोगकर्ता की सहमति के बिना तीसरे पक्ष को दिया जाता है. अदालत ने दूसरा बिंदु भारत के लिए एक "अलग मानदंड" रखने का रखा था क्योंकि कंपनी की यूरोपीय बाजार के लिए अलग-अलग नीतियां हैं. WhatsApp और फेसबुक ने CCI के 24 मार्च 2021 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें नई प्राइवेसी पॉलिसी की जांच का निर्देश दिया गया था. जनवरी में, CCI ने उसी के संबंध में समाचार रिपोर्टों के आधार पर WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी को देखने का फैसला किया.