Zojila Tunnel: श्रीनगर से लेह की दूरी अब सिर्फ 15 मिनट में करें तय

Zojila Tunnel: श्रीनगर से लेह की दूरी अब सिर्फ 15 मिनट में करें तय

एशिया की सबसे लंबी द्विदिश सुरंग के रूप में बनने वाली 'ऑल-वेदर कनेक्टिविटी' Zojila Tunnel का निर्माण जम्मू और कश्मीर के भू-रणनीतिक रूप से संवेदनशील इलाके में तेज़ गति से चल रहा है. इस परियोजना की पूर्ति की समय सीमा, जो पहले साल 2026 के लिए निर्धारित की गई थी, को अब साल 2023 तक कर दिया गया है. निर्माण कार्य पूरा हो जाने पर Zojila Tunnel भारत की सबसे लंबी सड़क सुरंग के साथ-साथ, दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग भी होगी. 

क्या है Zojila Tunnel?

भारत में जम्मू-कश्मीर में निर्माणाधीन Zojila Tunnel करीब 3,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 14.15 किलोमीटर लंबी सुरंग है. सुरंग NH-1 पर ज़ोजिला दर्रे के नीचे स्थित है. यह सुरंग श्रीनगर और लेह को द्रास और कारगिल से जोड़ेगी. यह मार्ग जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के सोनमर्ग से शुरू होगा और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में मीनामार्ग पर समाप्त होगा. सड़क का निर्माण दुनिया के सबसे खतरनाक मोटरेबल हिस्सों में से एक पर किया जा रहा है, जो महान भू-रणनीतिक संवेदनशीलता के स्थान पर है.

सुरंग के क्या है लाभ?

इस Zojila Tunnel को NH-1 पर श्रीनगर घाटी और लेह (लद्दाख) पठार के बीच हर मौसम में संपर्क प्रदान करने के लिए जाना जा रहा है. इसके ज़रिये यात्रियों को पूरे वर्ष, दो टर्मिनल जगहों के बीच आवागमन की अनुमति रहेगी.

वर्तमान में श्रीनगर से लेह को जोड़ने वाला ज़ोजिला दर्रा प्रति वर्ष केवल छह महीने के लिए आवागमन के योग्य है. पहाड़ी इलाकों में स्थित सड़क, ठंड के महीनों में बर्फ जमने पर बंद हो जाती है. इसके कारण, सेना और अन्य वाहनों की आवाजाही में बाधा उत्पन्न होती है. श्रीनगर और लेह के बीच वैकल्पिक मार्ग लंबे और सर्दियों में खतरनाक भी हैं. खास बात ये है की, यह मार्ग पाकिस्तान और चीन के साथ भारत की सीमाओं के करीब स्थित है.

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कहा कि, "Zojila Tunnel के निर्माण से इन क्षेत्रों का चौतरफा आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक एकीकरण होगा, जो सर्दियों के दौरान लगभग 6 महीने तक भारी बर्फबारी के कारण देश के बाकी हिस्सों से कट जाता है." 

Zojila Tunnel के अन्य लाभ

  • Zojila Tunnel, वर्तमान में ज़ोजिला दर्रे से आने वाले यात्रियों के लिए यात्रा के समय को काफी कम कर देगी. ज़ोजिला दर्रे पर यात्रा का समय लगभग 3 घंटे है. लेकिन इस सुरंग के रास्ते से ये यात्रा केवल 15 मिनट में पूरी की जा सकेगी.
  • Zojila Tunnel दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के बीच की दूरी 40 किमी से 13 किमी और कुल यात्रा समय के समय को 1.5 घंटे तक कम कर देगी.
  • ये सुरंग ऊपर से ढकी हुई है, इसलिए यह सर्दियों के महीनों में हिमस्खलन से सुरक्षित मार्ग प्रदान करेगी.
  • यह रक्षा और सैन्य वाहनों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करेगी, जो सीमा क्षेत्र में सक्रिय होते हैं.
  • इस परियोजना से स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है.
  • बेहतर परिवहन नेटवर्क से क्षेत्र में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा.

सुरंग की विशेषताएं

यहां Zojila Tunnel की कुछ विशेषताएं हैं, जैसा कि MoRTH द्वारा चित्रित किया गया है:

  • यह एक दो-लेन, द्वि-दिशात्मक, एकल ट्यूब सुरंग है, जिसमें समानांतर निकास या एस्केप मार्ग नहीं है.
  • सुरंग को 80 किमी / घंटे की गति से चलने वाले वाहन के हिसाब से डिज़ाइन किया जा रहा है.
  • सुरंग के टॉप पर एक सड़क जोड़ी जाएगी, जो इसे जेड-मोड़ सुरंग के अंत से जोड़ती है और सीधे कारगिल की ओर जाती है.
  • एप्रोच रोड में हिमस्खलन संरक्षण संरचनाएं जैसे कैच डैम, स्नो गैलरी, डिफ्लेक्टर डैम आदि होंगे.
  • Zojila Tunnel की सुरक्षा सुविधाओं में फुटपाथ, आपातकालीन फोन, हाइड्रेंट, फायर अलार्म,  रोशनी की व्यवस्था और एक वीडियोग्रफिंग प्रणाली शामिल है.

Zojila Tunnel का क्यों हो रहा है तेज़ी से निर्माण?

Zojila Tunnel के निर्माण ने हाल ही में अक्टूबर 2020 तक गति पकड़ी थी, अब यह Ministry of Road Transport and Highways के संकेतों के अनुसार, तीव्र गति से किया जा रहा है. इस परियोजना के अपने निर्धारित समय से तीन साल पहले 2023 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने संकेत दिया हैं कि, साल 2024 में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) से पहले प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सुरंग का उद्घाटन किए जाने की उम्मीद है.

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