Pegasus Spyware: सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगित की 23 फरवरी को होने वाली सुनवाई

Pegasus Spyware: सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगित की 23 फरवरी को होने वाली सुनवाई

भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार 22 फ़रवरी को, बहुचर्चित Pegasus जासूसी मामले की सुनवाई को 25 फरवरी तक स्थगित कर दिया है. 23 फरवरी को इस मामले को लेकर अहम सुनवाई होने वाली थी, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया, कि वे 23 फरवरी को किसी अन्य मामले में व्यस्त रहेंगे, इसलिए सुनवाई आगे बढ़ा दी जाए.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के आग्रह को मानते हुए, अदालत ने Pegasus जासूसी मामले की सुनवाई को 25 फरवरी तक स्थगित कर दिया है. अब इस Pegasus मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एन.वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच शुक्रवार को करेगी.

जांच कमेटी ने सौंपी अंतरिम रिपोर्ट


आपको बता दें, कि मुख्य न्यायाधीश एन.वी रमना ने Pegasus मामले को लेकर, अक्टूबर 2021 में 3 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई थी. वहीं इस कमेटी ने सुनवाई से पहले अपनी अंतरिम रिपोर्ट अदालत में सौंप दी है. इस कमेटी में गांधीनगर यूनिवर्सिटी के फॉरेंसिक साइंसेज़ के वाइस चांसलर डॉ. नवीन कुमार चौधरी, केरल के अमृता विश्व विद्यापीठम के प्रोफेसर डॉ. प्रभाकरण पी और आईटी बॉम्बे के डॉ. अश्विन अनिल गुमास्ते शामिल हैं.

इसके अलावा, जांच कमेटी की पैनल के लिए न्यायमूर्ति रवींद्रन को नियुक्त किया गया है. इसके साथ ही उन्हें, पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक जोशी और अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन अध्यक्ष संदीप ओबेरॉय द्वारा सहायता प्रदान की गई है. आपको बता दें, कि Pegasus के मामले में पत्रकार एन राम, सिद्धार्थ वरदराजन और परंजॉय गुहा ठाकुरता समेत 13 लोगों ने समिति के सामने अपना पक्ष रखा है. वहीं 2 लोगों ने अपने मोबाइल फोन भी फॉरेंसिक जांच के लिए कमेटी को सौंप दिए हैं.

जानिए क्या है Pegasus जासूसी का पूरा मामला


उल्लेखनीय है, कि भारत में पिछले साल 2021 में Pegasus जासूसी मामले ने पूरे देश में हंगामा मचा दिया था. दरअसल, भारतीय समाचार पोर्टल ‘द वायर’ ने दावा किया था, कि Pegasus स्पाइवेयर के ज़रिए देश में 300 से अधिक लोगों का डाटा चुराया गया है.

इस सूची में कथित तौर पर कांग्रेस नेता Rahul Gandhi, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर व कई पत्रकार और कई जानी मानी हस्तियों के नाम शामिल थे. इसके बाद, सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले को लेकर याचिका दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई अब भी जारी है.

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