
सेना के क्षेत्र में भारतीय महिलाओं ने एक बड़ी जीत हासिल की है. Supreme Court ने बुधवार को एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें महिलाओं को 5 सितंबर को होने वाली राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में प्रवेश परीक्षा देने की अनुमति दी गई है. इस SC बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश शामिल थे. NDA में महिलाओं को शामिल करने के लिए सेना की नीति लैंगिक भेदभाव पर आधारित थी. शॉर्टलिस्ट की गई महिला उम्मीदवारों का प्रवेश अदालत के अंतिम आदेशों के अधीन होगा.
यह विकास प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा के कुछ दिनों बाद आया है कि जब उन्होंने सैनिक स्कूल लड़कियों को नामांकन की अनुमति दे दी है. उन्होंने कहा कि उन्हें देश भर की लड़कियों से सैनिक स्कूलों में जाने की इच्छा व्यक्त करने के लिए कई पत्र मिले हैं. प्रधानमन्त्री ने घोषणा की कि देश भर के सभी सैनिक स्कूल अब लड़कियों के लिए अपना रोस्टर खोलेंगे. प्रधानमन्त्री ने कहा, यह बड़े गर्व की बात है कि चाहे शिक्षा हो या कोर्ट या ओलंपिक खेल, हमारी बेटियां हमें गौरवान्वित कर रही हैं. आज भारत की बेटियां अपनी जगह लेने को तैयार हैं.
सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा, 'महिलाओं को रोजगार के जो रास्ते खुले हैं, उनमें सशस्त्र बलों में महिलाओं को समान अवसर दिया जा रहा है. केवल पुरुषों और महिलाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए उपलब्ध प्रविष्टियों के तरीके के कारण किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं है."
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सेना में प्रवेश के तीन तरीके हैं- NDA, भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) और अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (OTA). महिलाओं को OTA और IMA के माध्यम से प्रवेश की अनुमति है. हाल ही में 2 अगस्त को, Supreme Court ने सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए स्थायी आयोग को लागू नहीं करने पर केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा कि वह अपने फैसले को यथास्थिति में लागू करे.
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