
West Bengal में हुई चुनावी हिंसा को लेकर कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब राज्य सरकार ने 10 IPS अधिकारियों की एक SIT टीम गठित की है. SIT की टीम में सभी IPS अधिकारी क्षेत्र के अनुसार नियुक्त किए गए. 19 अगस्त को कोलाकात उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था की राज्य सरकार SIT की एक टीम गठित कर 6 सप्ताह के अंदर जांच की रिपोर्ट जमा कराए.
दरअसल, काफ़ी समय तक SIT की टीम गठित नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था. याचिकाकर्ता ने सवाल उठाकर कहा था कि, "न्यायालय के आदेश के बावजूद राज्य में चुनाव के दौरान हुई हिंसा पर अभी तक SIT की टीम गठित क्यों नहीं हुई है?" साथ ही उन्होंने ये भी पूछा कि, "राज्य सरकार ने इसपर अभी तक अधिसूचना जारी क्यों नहीं की है?" इसके बाद West Bengal सरकार ने राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए बुधवार 1 सितंबर को 10 IPS अधिकारियों की क्षेत्र के अनुसार टीम बनाई.
हालांकि, राज्य में हुई चुनावी हिंसा को लेकर CBI ने भी अपनी कमान संभाली हुई है. वहीं आज मुख्यमंत्री Mamata Banerjee ने West Bengal में नए कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति पर उच्चतम न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया. दरअसल, West Bengal में साल 1986 बैच के एक IPS को राज्य का नया कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया है, जिसपर Mamata Banerjee ने उनके चयन को लेकर अपनी नाराज़गी जताई.
Mamata सरकार के मुताबिक, UPSC के पास न तो अधिकार क्षेत्र है और न ही उनके पास किसी राज्य में डीजीपी नियुक्त करने की विशेषज्ञता है. UPSC ने बंगाल सरकार द्वारा डीजीपी के लिए सुझाए गए नामों की सूची में कई कमियां निकाली हैं. यह भारतीय संघीय शासन प्रणाली के मुताबिक नहीं है, जिसको लेकर राज्य सरकार ने कोर्ट में एक याचिका दायर की है. Mamata सरकार की ओर से उनके वकील सिद्धार्थ लूथरा ने मुख्य न्यायधीश N.V Ramana से इस मामले को लेकर जल्द से जल्द सुनवाई करने का अनुरोध किया है.