
आज पूरे विश्व में ईसाई समुदाय के लोग शुक्रवार 15 अप्रैल को, गुड फ्राइडे (Good Friday) के रूप में मना रहे है. गुड फ्राइडे को ईसाई का समुदाय का प्रमुख पर्व माना जाता है. इसके नाम से ऐसा लगता है, जैसे कोई बड़ा धूमधाम वाला त्योहार है, लेकिन ऐसा नहीं है. ईसाई समुदाय के लोग इसे शोक दिवस या काले दिवस के रूप में मनाते है.
दरअसल, इसके पीछे वजह यह है, कि ऐसा माना है, इसी दिन भगवान जीसस (Jesus) ने अपने प्राण त्यागे थे.
ईसाई धर्म ग्रंथों के मुताबिक, जीसस येरुशलम में लोगों को मानव कल्याण के उपदेश देते थे. उनके उपदेशों का लोगों पर गहरा प्रभाव होता था और लोग उन्हें ईश्वर मानने लगे. ऐसे में धर्म के कुछ ठेकेदारों को चिढ़ होने लगी और उन्होंने रोम के शासक से ईसा मसीह के खिलाफ़ शिकायत कर दी. इसके बाद रोम के तत्कालीन शासक ने जीसस पर राजद्रोह का आरोप लगाते हुए मौत की सजा सुनाई.
इस फैसले के बाद कील की मदद से जीसस को सूली पर लटका दिया और उन्हें कांटों का ताज तक पहना दिया गया. लेकिन, उस समय भी उनके मुंह से सभी के लिए सिर्फ क्षमा और कल्याण के संदेश ही निकले.
कहा जाता है, कि वह शुक्रवार का दिन था और इस घटना से दुखी होकर उनके अनुयायी शुक्रवार के दिन को गुड फ्राइडे के रूप में मनाने लगे. हालांकि इसके तीसरे दिन रविवार को वह फिर से जीवित हो गए, जिसकी खुशी में रविवार को ईस्टर (Easter) का त्योहार मनाया जाता है, जिसे ईस्टर संडे भी कहते हैं. ऐसे में हर साल ईस्टर संडे से पहले वाले शुक्रवार को ईसाई समुदाय के लोग गुड फ्राइडे के रूप में मनाते है.
गुड फ्राइडे के दिन सुबह गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है. ईसाई समुदाय के लोग सुबह की प्रार्थना में शामिल होकर जीसस के बलिदान को याद करते हैं. इसके अलावा, कई लोग जीसस की याद में उपवास रखते हैं और उपवास के बाद मीठी रोटी बनाकर खाते हैं.
गुड फ्राइडे को ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है. इस दिन को गुड फ्राइडे कहने का कारण था, कि ईसाई समुदाय के लोग इसे एक पवित्र दिन के रूप में मनाते हैं. लोग चर्च में सेवा कर भगवान जीसस के बलिदान को याद करते हैं, इसलिए इसे गुड फ्राइडे के रूप में जाना जाता है.