
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने भारत के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) यानी एफटीए (FTA) के लिए ब्रिटेन की प्रतिबद्धता को दोहराया है. यह समझौता, दोनों देश के रणनीतिक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र (Indo-Pacific Region) के साथ संबंधों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है, जो साल 2050 तक वैश्विक विकास का आधा हिस्सा होगा.
आपको बता दें, कि पिछले महीने अक्टूबर में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद अपने पहले प्रमुख विदेश नीति भाषण में ब्रिटिश-भारतीय नेता ने अपनी विरासत पर विचार सांझा किया है. इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि वह दुनियाभर में ‘स्वतंत्रता और खुलेपन’ के ब्रिटिश मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि मुक्त-व्यापार समझौते की वार्ताओं का ध्यान व्यापार की बाधाओं को कम करने, टैरिफ में कटौती करने और एक दूसरे के बाजारों में आसान आयात और निर्यात का समर्थन करने पर रहता है.
ऋषि ने चीन और सिस्टेमेटिक बदलाव के बारे में बात करते हुए कहा, कि वह ‘चीजों को अलग तरीके से करने’ का मन बना चुके हैं. हालांकि, यह कहीं न कहीं ब्रिटिश मूल्यों और हितों के लिए एक ‘प्रणालीगत चुनौती’ है. उन्होंने यह भी कहा, कि राजनीति में आने से पहले मैंने दुनियाभर के व्यवसायों में निवेश किया था और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अवसर सबसे शानदार हैं.
ऋषि ने कहा, कि "साल 2050 तक इंडो-पैसिफिक, एक चौथाई से अधिक वैश्विक विकास प्रदान करेगा.” गौरतलब है, कि भारत और ब्रिटेन ने दीवाली तक वार्ता समाप्त करने के उद्देश्य से जनवरी में मुक्त-व्यापार समझौते के लिए वार्ता शुरू की थी. मगर मुद्दों पर आम सहमति की कमी के कारण समय सीमा समाप्त हो गई और कोई फैसला नहीं हो पाया.
आगे ऋषि सुनक ने यह भी कहा, कि "कई अन्य लोगों की तरह, मेरे दादा-दादी पूर्वी अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप के रास्ते यूनाइटेड किंगडम आए और यहां अपनी जिंदगी बिताई. हाल के सालों में हमने हांगकांग, अफगानिस्तान और यूक्रेन से आए हजारों लोगों का स्वागत किया. हम उन देश में शुमार हैं, जो अपने मूल्यों के लिए खड़ा है. यह केवल शब्दों से नहीं बल्कि कार्यों से लोकतंत्र की रक्षा करता है.”
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