
शुक्रवार को गुजरात में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कॉंग्रेस (Congress) पर निशाना साधते हुए कहा, कि कांग्रेस केवल 'अटकाना, लटकाना और भटकाने' में विश्वास करती है. उन्होंने कॉंग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा, कि देश में गरीब लोगों को लूटने वाले अब भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए उन्हें गाली दे रहे हैं.
उन्होंने यह भी कहा, कि पिछली कांग्रेस सरकार ने नर्मदा नदी के पानी को गुजरात के सूखे क्षेत्रों में लाने में कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, क्योंकि पार्टी केवल उन कामों को करने में दिलचस्पी रखती है, जहां भ्रष्टाचार करने की गुंजाइश थी. प्रधानमंत्री मोदी आज बनासकांठा ज़िले के कांकरेज गांव में एक रैली को संबोधित कर रहे थे, जिस दौरान उन्होंने कहा कि "कांग्रेस केवल 'अटकाना', 'लटकाना' और 'भटकाना' में विश्वास करती थी. इस क्षेत्र के बुजुर्ग आपको बताएंगे, कि कैसे कांग्रेस की सरकारें इस सूखे क्षेत्र में नर्मदा का पानी लाने की बात करती तो थीं, लेकिन उनकी सत्ता के दौरान इस पर कभी कुछ नहीं किया गया.”
आपको बता दें, कि गुजरात के बनासकांठा ज़िले के कांकरेज गांव में 5 दिसंबर को विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections) होने हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर सरदार सरोवर बांध के निर्माण को रोकने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया. इतना ही नहीं, उन्होंने कॉंग्रेस द्वारा मुकदमों के माध्यम से परियोजना में देरी करने वालों का समर्थन करने की बात करते हुए, नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA) की कार्यकर्ता मेधा पाटकर (Medha Patkar) की ओर संकेत किया.
उन्होंने कहा, कि "कांग्रेस कभी भी उन कामों में दिलचस्पी नहीं लेती, जहाँ उनके नेताओं को पैसे कमाने का मौका नहीं मिलता. सूखे के दौरान लोगों को गड्ढे खोदने का काम दिया जाता था, जिसमें उन्हें राहत कार्यों में रिश्वत मिलती थी, इसलिए कांग्रेस पानी नहीं दे रही थी. क्योंकि वह जानती थी, कि अगर यहां पानी की आपूर्ति की गई, तो उनकी अवैध आय बंद हो जाएगी."
प्रधानमंत्री के अनुसार, वह भाजपा (BJP) की सरकार ही थी जो इस सूखे क्षेत्र में नर्मदा का पानी लाई. उन्होंने कहा, कि भाजपा ने ही यह वादा किया था, कि वह उन क्षेत्रों में भी नर्मदा का पानी पहुंचेयेगी जो पीछे रह गए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कि केंद्र में उनकी सरकार ने कांग्रेस के शासन के दौरान, देश भर में छोड़ी गई 99 जलापूर्ति योजनाओं को पूरा करने के लिए, लगभग 1 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे.
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