
वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman के द्वारा, हाल ही में 6 लाख करोड़ रुपए के National Monetisation Pipeline (NMP) की घोषणा हुई है. यह प्रक्रिया वर्ष 2022-2025 के बीच संपन्न होगी. इसके बाद से ही, लोगों के बीच तर्क-वितर्क शुरू हो गए हैं. इनमें से कुछ के मुताबिक, सरकार धन की कमी की वजह से संपत्ति बेचने को मज़बूर है. वित्तमंत्री ने यह स्पष्ट किया है, कि मुद्रीकरण में ज़मीन की बिक्री शामिल नहीं है.
National Monetisation Pipeline एक प्रकार से, सरकार के अधिकार वाली संपत्ति का मुद्रीकरण करने की एक योजना है. इनमें खासकर उन क्षेत्रों को स्थान दिया जा रहा है, जो विकसित होने से वंचित हैं. और जो अपनी क्षमता का पूर्ण योगदान देश को नहीं दे पाते. वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman ने इस योजना पर यह भी कहा है, कि लीज़ पर दी जा रही सरकारी संपत्ति पर अधिकार सरकार का ही होगा. यह बस विकास और पैसों की उगाही के लिए, निवेशकों को दी जा रही है. आसान शब्दों में समझा जाए, तो यह एक ऐसी योजना है जहां बिना पैसा खर्च किये सरकार कमाई कर सकती है.
National Monetisation Pipeline को एक उदाहरण के तौर पर ऐसे समझ सकते हैं. जैसे आपके पास दो मकान हैं, पर रहते आप एक में हो. अब अगर आप दूसरे मकान को किराये पर दे दो, तो उससे हो रही आमदनी आपकी दूसरी ज़रूरतों को पूरा कर सकती है. खास बात यह है, कि इस पूरी प्रक्रिया में संपत्ति के मालिक आप ही रहते हैं. किरायेदार केवल उसका रख – रखाव करता है, साथ ही आपको आर्थिक तौर पर मज़बूत भी करता है.
किसी भी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ और मज़बूत रखने के लिए, पैसों का आय और व्यय लगातार होना ज़रुरी है. इसी तरह National Monetisation Pipeline भी इसलिए नहीं ज़रुरी है, कि देश में पैसों की कमी है. बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को ऐसे साधनों से परिचित कराने का एक तरीका है. जो मौज़ूद तो है पर उनका उचित इस्तेमाल नहीं होता. इस कारण, यह योजना भारतीय अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भर भारत के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होती नज़र आ रही है.
भारत सरकार काफी समय से, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को फाइनेंस करने के साधन जुटाने में लगी है. साथ ही इस वर्ष के बजट 2021-2022 में भी इसपर काफी चर्चा हुई थी. National Monetisation Pipeline की यह योजना, भारत के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करेगी. साथ ही, उन स्थानों से भी कमाई करके देगी जो अर्थव्यवस्था पर सिर्फ एक जिम्मेदारी हैं. हमारे आसपास भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जो देश के आय का साधन बन सकते हैं. जैसे कि, रेलवे के आसपास पड़ी खाली ज़मीन या बड़े – बड़े मैदान जिनमें स्टेडियम बनने की क्षमता है.
सरकार की तरफ से आई जानकारी के मुताबिक, इस योजना के अंतर्गत सरकार बिजली, सड़क और रेलवे के क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर का मुद्रीकरण करेगी. इसके अलावा पाॅवर, दूरसंचार, शिपिंग पोर्टस, आदि भी National Monetisation Pipeline की इस सूची में शामिल हैं. इन सभी की सरकार की तरफ से समीक्षा समय – समय पर समीक्षा की जाएगी. और एक तय अवधि के बाद, यह संपत्तियां वापस सरकार के मालिकाना हक में शामिल हो जाएंगी.