
भारतीय रुपया (Indian Rupee) मई के महीने में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली एशियाई मुद्रा बयँ चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रदर्शन भारतीय अर्थव्यवस्था के कोविड संकट से उबरने का संकेत दे रहा है।
कोविड 19 से बुरी तरह प्रभावित होने के बाद रुपये (Indian Rupee) ने बेहतरीन वापसी की है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार मई के महीने में रुपये (Indian Rupee) ने सभी एशियाई मुद्राओं को पछाड़ते हुए सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है। रुपए (Indian Rupee) की वापसी को कई विशेषज्ञ भारत पर कोविड 19 (Covid 19) के घटते हुए प्रभाव से भी जोड़कर देख रहे हैं। मई महीने में अमेरिकी डॉलर (American Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपये की मज़बूत होती स्थिति, भारत के विभिन्न राज्यों द्वारा कोविड संक्रमण को रोकने के लिए उठाय गए कदमों की सफलता की ओर भी इशारा करती है। गौरतलब है कि देश के राज्यों में लोकल स्तर पर कर्फ्यू और लॉकडाउन के नियम बनाये गए थे।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार मई के महीने में भारतीय मुद्रा (Indian Rupee) ने डॉलर के मुक़ाबले में 1.5 प्रतिशत अधिक मज़बूती दर्ज की है। यह वृद्धि दर अन्य सभी एशियाई मुद्राओं से अधिक है। ज्ञात रहे, इस महीने भारत में रिकॉर्ड संख्या छूने के बाद, कोविड संक्रमण के मामले अब काफी कम होने लगे हैं। इसके अलावा रुपए को एशिया में सर्वाधिक कैरी रिटर्न प्रदान करने का भी फायदा मिला है।
हालांकि, रुपये का मज़बूत होना देश के कोविड से उबरने का सन्देश दे सकता है, परन्तु यह भारतीय निर्यातकों के लिए एक बुरी खबर साबित हो सकती है। इस समय जब भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड से उबरकर निर्यात की गतिविधियों में दोबारा वृद्धि करने का प्रयास कर रही है। इसी सम्बन्ध में एक एनालिस्ट का कहना है कि रुपये की इस वृद्धि को एक स्तर के बाद RBI रोक सकती है।