
कृषि कानूनों पर चल रही सरकार और किसानों के बीच की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है. इस कानून के विरोध में, पिछले कुछ समय से Farmers Protest चल रहा है. यह विरोध प्रदर्शन कई तरीकों से किया जा रहा है. जिसमें से एक तरीका, हाईवे बंद करके प्रदर्शन करना भी है. किसानों द्वारा, हाईवे बंद किये जाने से सरकार के राजस्व पर गहरी चोट पहुँच रही है.
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 को, किसानों द्वारा पिछले 8 महीने से बंद किया हुआ है. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 के ज़रिए, पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ से देश की राजधानी दिल्ली, आया जाता है. इस रास्ते को तय करने के लिये, लगभग 300 रुपये का टोल टैक्स भरना पड़ता है. किसानों द्वारा आंदोलन के चलते, इस राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 को जब से बंद किया गया है. तब से सरकार, यह टैक्स नहीं वसूल कर पा रही है. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस बंदी के चलते अब तक लगभग 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान सरकार को हो चुका है.
अधिकारी ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि, "इसी प्रकार पंजाब औए हरियाणा में लगभग 50 टोल बूथ आंदोलन के चलते बंद हैं. यह सिलसिला, लगभग पिछले 6-8 महीने से चलता आ रहा है". हरियाणा के पानीपत में, हाईवे संख्या 44 पर Farmers Protest में शामिल, एक किसान का कहना है कि, "पेट्रोल की कीमतें 100 के पार पहुंच गईं है. तो हम टोल के पैसे क्यों ना बचाएं. हम पिछले 8 महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार हमारी मांगे नहीं मान रही है".
इससे पहले, केंद्रीय सड़क और राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने संसद में टोल बंदी के कारण हुए नुकसान से सम्बंधित आंकड़े पेश किए थे. यह आंकड़े, गडकरी द्वारा मार्च माह में पेश किए गए थे. इसमें उन्होंने कहा था की, "पंजाब और हरियाणा में टोल बंदी के कारण क्रमशः 487 और 326 करोड़ का नुकसान हुआ था".