चीन ने कार्गो फ्लाइट पर लगाई रोक, भारत में दवा निर्माण पर होगा भारी असर

NOIDA, INDIA - MAY 5: People registering to be inoculated against Covid-19 at the Sector 30 district hospital on May 5, 2021 in Noida, India. (Photo by Sunil Ghosh/Hindustan Times via Getty Images)
NOIDA, INDIA - MAY 5: People registering to be inoculated against Covid-19 at the Sector 30 district hospital on May 5, 2021 in Noida, India. (Photo by Sunil Ghosh/Hindustan Times via Getty Images)

 भारत में दवा निर्माण प्रभावित होने से अमेरिका में भी दवाओं की किल्लत

भारत में कोरोना संक्रमण की स्थिति दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। दूसरी ओर अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति की समस्या से भी संक्रमितों को दो चार होना पड़ा था। अब चीन से आने वाली कार्गो फ्लाइट सेवा पर रोक लगने के बाद, दवा निर्माण के लिए कच्चे माल की समस्या खड़ी हो गई है। चीन द्वारा कच्चे माल की आपूर्ति रोका जाना, वैश्विक स्तर पर दवा आपूर्ति को बाधित कर सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि अमेरिका भी दवाओं के लिए भारत पर ही निर्भर है। 

इंडियन ड्रग्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, महेश दोषी ने बताया, कि 26 अप्रैल 2021 से, चीन सरकार ने भारत में कोरोना संकट के चलते 15 दिनों के लिए सिचुआन  कार्गो फ्लाइट सेवा पर रोक लगा दी है। चीन, भारत को दवा निर्माण के लिए 77 प्रतिशत तक कच्चे माल की आपूर्ति करता है। साथ ही कई दवाओं की सामग्री के लिए, भारत चीन पर ही निर्भर है। महेश दोषी ने भारतीय विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर इस परिस्थिति की जानकारी दी है। महेश दोषी के अनुसार, अगर यही स्थिति जारी रही तो दवाओं की वैश्विक आपूर्ति पर भारी असर पड़ेगा। हालांकि, अभी दवा निर्माण की स्थिति सामान्य है। लेकिन आगे चलकर भारत की घरेलू आवश्यकता के लिए भी दवाओं की किल्लत हो सकती है। 

भारत दवा निर्माताओं की इस चिंता पर सिचुआन  फ्लाइट की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है।

अमेरिका, दवाओं की आपूर्ति के लिए विशेष रूप से भारत पर निर्भर है। अमेरिकी फूड एंड ड्रग प्रशासन के अनुसार, भारत 61 ऐसी जेनेरिक दवाओं का निर्माण करता है जो कहीं नहीं बनाई जाती हैं। साथ ही, अमेरिका द्वारा मान्यता प्राप्त 31 प्रतिशत एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल दवाओं का निर्माण भारत में ही होता है। अगर, भारत में दवा निर्माण बाधित होता है, तो अमेरिका पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। पिछले साल, कोरोना महामारी के समय भी अमेरिका में सेडेटिव, इनहेलर और तनाव की दवाइयों को किल्लत हो गई थी।

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