
यूँ तो व्हाट्सप्प (Whatsapp) पूरी दुनिया में काफ़ी चर्चित ऐप है, जिसे प्रयोग करने के लिए डिवाइस/फ़ोन में केवल इंटरनेट की ज़रूरत होती है. इसके बाद, उपयोगकर्ता दूर-से-दूर बैठे इंसान से मैसेज, ऑडियो और वीडियो कॉल के ज़रिए बात कर सकते हैं. इसी के साथ, व्हाट्सप्प पर ऑनलाइन फाइल्स भी भेज सकते हैं, जो सुविधाएं साधारण मैसेज में उपलब्ध नहीं होती. मगर इस सबके बावजूद भी, व्हाट्सप्प पर यूज़र्स की प्राइवेसी और सिक्योरिटी यानी सुरक्षा को लेकर कई बार प्रश्न उठ चुके हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि स्टैटिस्टा की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में कुल 2 बिलियन लोग, हर महीने व्हाट्सप्प का प्रयोग करते हैं. तो वहीं 487 मिलियन व्हाट्सप्प यूज़र्स, भारत के लोग हैं. इससे यह साफ़ ज़ाहिर होता है, कि लोगों की पसंदीदा ऐप की लिस्ट में व्हाट्सप्प काफ़ी ऊपर है. वहीं व्हाट्सप्प के बाद फेसबुक और फिर चीन की निर्मित ऐप, वीचैट सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली ऐप है.
अब मुद्दा यह है, कि वर्ष 2021 में व्हाट्सप्प पर यूज़र्स की सुरक्षा के सिलसिले में मचे शोर के बाद, अब वर्ष 2022 में क्या सच में सरकार व्हाट्सप्प को बैन करने के बारे में सोच रही है? तो आइए जानते हैं, कि आखिर क्या है पूरा मुद्दा.
गौरतलब है, कि भारत सरकार ने वर्ष 2020 के बाद से ही 50 से भी अधिक चीनी ऐप्स को देश में बैन कर दिया था. इनमें से टिक टॉक एक ऐसा ऐप था, जिसे बहुत से भारतीय नागरिक प्रयोग करते थे. मगर बैन लगने के कारण, अब वह इसे प्रयोग नहीं कर सकते. माना जाता है, कि यह फैसला देश हित में लिया गया था. इसके साथ ही, यह फैसला देश की 'आत्मनिर्भर भारत' योजना को पंख देने के लिए भी आवश्यक था.
आपकी जानकारी के के लिए बता दें, कि भले ही भारत में व्हाट्सएप को एक बड़े स्तर पर प्रयोग किया जाता हो. मगर, यह एक भारत में विकसित की गई ऐप नहीं है. व्हाट्सप्प और इंस्टाग्राम दोनों को ही मेटा (फेसबुक) के डेवलपर ने विकसित किया है. इसके चलते ज़ाहिर है, कि व्हाट्सप्प भी पश्चिम में बनाई गई एक ऐप है, जो कहीं-न-कहीं टेक्नोलॉजी की दुनिया में भारत को किसी और देश पर निर्भर होने के लिए मजबूर करती है. दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प में एक रूकावट जैसी है.
लेकिन एक सच यह भी है, कि भारत अभी इतना सक्षम नहीं है कि खुद की ऐसी ऐप विकसित कर सके, जो व्हाट्सप्प को टक्कर दे. अब समस्या ये आती है, कि जो ऐप यहां विकसित की जाती हैं, उसे उतने यूज़र्स नहीं मिलते और न ही कोई निवेश करने के लिए मिल पाता है. ऐसे में, भारत को फिर से व्हाट्सप्प जैसे ही ऐप पर निर्भर होना पड़ता है. हालांकि, इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार अब कुछ महत्वपूर्ण कदम भी उठा रही है.
उदाहरण के तौर पर, स्टार्टअप इंडिया एक ऐसा ही एक कदम है. इस योजना से सरकार युवाओं को स्टार्टअप यानी अपने बिज़नेस की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करती है. ऐसा करने के पीछे सरकार की मंशा है, कि इनके ज़रिए कुछ ऐसा हो सके, जो अभी तक नहीं हुआ. आपको बता दें, कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत भारत कों आधारिक संरचना, टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाना सरकार का लक्ष्य होगा.
वर्तमान में इसका उत्तर ना है. मगर, संभावना है कि जल्द ही सरकार इस क्षेत्र में कुछ उपाय कर सकती है. साथ ही, यदि सरकार व्हाट्सप्प पर बैन लगाने लगे और दूसरी तरफ भारतीय ऐप्स में निवेश किया जाने लगे, तो ऐसी ऐप उपलब्ध हों. फ़िलहाल भारत में ट्विटर की जगह ‘कू’ और टिकटोक की जगह ‘शेयर चैट’ ऐसी ही ऐप्स हैं, जो भारत में बनी हैं.