
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार 2 मार्च 2023 को अडानी-हिंडनबर्ग (Adani-Hindenburg) प्रकरण की जांच का आदेश दिया और सेवानिवृत्त न्यायाधीश एएम सप्रे (AM Sapre) की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. साथ ही साथ, इसने दो महीने के अंदर मामले की चल रही जांच पर सेबी (SEBI) से रिपोर्ट भी मांगी. समिति इस प्रकरण के जांच के अलावा निवेशकों की जागरूकता को मजबूत करने का सुझाव देगी और जांच करेगी कि नियामक विफलता थी या नहीं.
पैनल के अन्य सदस्यों में ओपी भट (OP Bhat), जेपी देवधर (JP Devadhar), केवी कामथ (KV Kamath), नंदन नीलाकेनी (Nandan Nilekani) और अधिवक्ता सोमशेखर सुंदरेसन (Somasekhar Sundaresan) शामिल होंगे. यह पैनल, निवेशकों की सुरक्षा के लिए वैधानिक और नियामक ढांचे को मजबूत करने और मौजूदा ढांचे के भीतर सुरक्षित अनुपालन के उपाय भी सुझाएगा.
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आपको बता दें, कि अदालत के हस्तक्षेप और अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच की मांग करने वाली चार याचिकाओं के एक बैच को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने एक पैनल के गठन पर अपना फैसला सुनाया है. इस याचिका पर सुनवाई करने वाली बेंच में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), जस्टिस पीएस नरसिम्हा (Justice PS Narasimha) और जेबी पारदीवाला (JB Pardiwala) शामिल थे.
इससे पहले याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने 17 फरवरी 2023 को सुनवाई की थी. समिति अडानी-हिंडनबर्ग मामले को देखने के लिए जिम्मेदार होगी, जिसके कारण रिपोर्ट जारी होने के बाद समूह के शेयर मूल्य में भारी गिरावट आई थी. गौरतलब है, कि रिपोर्ट में अडानी समूह (Adani Group) पर स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था, लेकिन गौतम अडानी (Gautam Adani) के नेतृत्व वाले समूह ने ऐसे सभी दावों का खंडन किया.
आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि 24 जनवरी 2023 को जारी हिंडनबर्ग रिपोर्ट में गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह द्वारा स्टॉक हेरफेर और लेखांकन धोखाधड़ी का दावा किया गया था. हालांकि, अडानी-समूह ने रिपोर्ट का जवाब दिया और उसके सभी दावों को खारिज कर दिया और इसे वैश्विक स्तर पर भारत की छवि खराब करने का प्रयास बताया.
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