
ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने क्रेडिट रेटिंग फर्मों से अडानी ग्रुप (Adani Group) की कंपनियों के स्थानीय ऋणों और प्रतिभूतियों की सभी रेटिंग का विवरण मांगा है. भारतीय पूंजी बाज़ार नियामक ने रेटिंग कंपनियों से यह सारी जानकारी शेयर करने के लिए कहा, जिसमें सभी बकाया रेटिंग, दृष्टिकोण और व्यापार समूह के अधिकारियों के साथ किसी भी चर्चा से संभावित अपडेट शामिल होंगे.
खबरों के मुताबिक़, नियामक से मिली जानकारी के बारे में एक सूत्र ने बताया, कि "सेबी शायद यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या अडानी की कंपनियों के शेयर की कीमतों में तेज़ गिरावट का तरलता की स्थिति और उधार लेने वाली कंपनियों की ऋण चुकौती क्षमता पर कोई असर पड़ेगा... हालांकि, इनमें से अधिकांश जानकारी सार्वजनिक डोमेन में है.”
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इसी बीच, 10 अडानी सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में 21.7 प्रतिशत और 77.47 प्रतिशत के बीच गिरावट आई है. इसमें अदानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) और अदानी ट्रांसमिशन (Adani Transmission) के बाद अडानी टोटल गैस (Adani Total Gas) में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है. इसके बावजूद, भारत में किसी भी रेटिंग कंपनी ने अदानी कंपनियों के लिए रेटिंग या दृष्टिकोण नहीं बदला है.
आपको बता दें, कि अडानी के शेयरों में गिरावट का सिलसिला अमेरिकी वॉल स्ट्रीट शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) द्वारा हेरफेर और धोखाधड़ी के आरोप लगाने के बाद से शुरू हुआ था. कंपनी के शेयरों की कीमत में अचानक आई गिरावट 'भौतिक घटनाओं' में से एक है, जो रेटिंग एजेंसियां आमतौर पर एक उधारकर्ता की रेटिंग और आउटलुक की समीक्षा करने के लिए कारक होती हैं, या इसे 'रेटिंग वॉच' के तहत रखती हैं.
अब तक, केवल एस एंड पी (S&P) और मूडीज़ (Moody’s) जैसी अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट एजेंसियों ने ही अडानी की कुछ कंपनियों के दृष्टिकोण को 'स्थिर' से 'नकारात्मक' में किया है. इसका कारण, संबंधित कंपनियों के बाज़ार मूल्य में तेज़ी से आई गिरावट है. स्थानीय एजेंसियों का मानना है, कि अडानी ग्रुप अपने कुछ पूंजीगत व्यय की समीक्षा कर सकता है.