
भारत में ट्रेड यूनियन ने 28 मार्च और 29 मार्च को सरकारी नीतियों के विरोध में राष्ट्रीय हड़ताल (Strike) का ऐलान किया था. सुबह से ही सभी कर्मचारी हड़ताल पर भी थे. लेकिन, कुछ राज्यों के हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक आदेश दिया है. कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल करने से रोकने के लिए सख्त आदेश दिए हैं.
गौरतलब है, कि केरल हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि सोमवार को केरल में स्टाफ के 4,284 सदस्यों में से केवल 32 सदस्य ही सरकारी सेक्रेटेरिएट में मौजूद थे. ऐसे में, कोर्ट ने राज्य को इस तरह की हड़ताल पर रोक लगाने का निर्देश जारी करने का आदेश दिया है. आदेश में कहा गया है, कि "कोई भी सरकारी कर्मचारी हड़ताल में भाग नहीं लेगा."
आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि हाई कोर्ट ने राज्य को 'डायस-नन' (dies-non) लगाने का निर्देश दिया है. गौरतलब है, कि डायस-नन में सरकारी कर्मचारियों की उपस्थिति होना बेहद जरूरी मानी जाती है. केरल की ही तरह पश्चिम बंगाल में भी ऐसे ही कुछ आदेश दिए हैं. एक स्त्रोत के अनुसार, "यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त तिथियों पर किसी भी कर्मचारी को प्रथम छमाही में या दूसरे भाग में या पूरे दिन के लिए कोई आकस्मिक अवकाश या अनुपस्थिति के लिए कोई अन्य अवकाश नहीं दिया जाएगा. यह आगे अधिसूचित किया जाता है कि अनुपस्थिति के उन दिनों में कर्मचारियों की संख्या को 'डाई-नन' के रूप में माना जाएगा और कोई वेतन स्वीकार्य नहीं होगा."
आपको बता दें, कि भारत बंद का असर पूरी व्यवस्था पर पड़ रहा था. बैंक और सभी ऑफिस बंद थे. ऐसे में सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल में जाने से रोकने के लिए अलग-अलग राज्यों में ये निर्णय लिया गया है. सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने को अवैध बताया गया है.