
भारत की केंद्रीय और राज्य सरकारें जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicle) की तरफ शिफ्ट करने का सोच रही हैं. जाहिर है, कि राज्य का यह निर्णय, ईवी इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा मौका है. लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों में ऑप्शन्स की कमी, राज्य के सामने एक बड़ी समस्या बनकर खड़ी है. यही कारण है, कि उन्हें इस शिफ्ट के सपने को असलियत में बदल पाने में ज़रा समय लग सकता है.
यूँ तो, पूरी दुनिया में कई कंपनियों के इलेक्ट्रिक वाहन उपलब्ध हैं. लेकिन भारत में, टाटा टिगर (Tata Tigor) और टाटा नेक्सन (Tata Nexon) ही दो ऐसे इलेक्ट्रिक वाहन हैं, जोकि भारत में बने हुए हैं. इसी के साथ, यह उस क़ीमत में आते हैं जितना कि राज्य खर्च कर सके. फिर, जिस तरह के ई- वाहन सरकार चाहती है, वो इन दोनों में से भी केवल एक ही है. ऐसे में, राज्य के सामने विकल्पों की समस्या ख़डी है.
राज्य द्वारा चलाई जाने वाली कंपनी, कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) की मैनेजिंग डायरेक्टर, महुआ आचार्य का कहना है, कि "सरकार टेंडर निकालने से पहले मॉडल के विकल्पों को देखना चाहेगी". आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि यह कंपनी CESL केंद्र और राज्य सरकारों तक इलेक्ट्रिक वाहनों को पहुंचाने का काम संभालती है. कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर ने आगे यह भी बताया, कि "हम अभी और अधिक (इलेक्ट्रिक) कारों को शामिल करना चाहते हैं, क्योंकि सरकारें (राज्य और केंद्र) अपने वाहनों को बदल रही हैं".
महुआ आचार्य के अनुसार, भारत में केंद्र और राज्य सरकारों के वाहनों को मिलाकर कुल 6 लाख वाहन थे. वह ये भी कहती हैं, कि "चार पहिए के वाहनों में हमारे पास ज्यादा विकल्प अभी उपलब्ध नहीं हैं. हालांकि, कार निर्माताओं ने वादा किया है, कि वो अगले 12 महीनों में या उससे पहले ही नए मॉडल लॉन्च करेंगे और मैं उन्ही का इंतज़ार कर रही हूँ".
गौरतलब है, कि यह ईवी इंडस्ट्री के लिए एक शानदार मौका है. विश्लेषकों के अनुसार, राज्य और केंद्र सरकार के विभागों का इलेक्ट्रिक वाहनों और एसयूवी (SUVs) की तरफ यह शिफ्ट, आने वाले तीन सालों में ईवी उद्योग के लिए, 65,000 से 70,000 करोड़ तक के बिज़नेस का मौका है.