
भारत की स्वतंत्रता सेनानी और कवि सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) का जन्मदिन भारत में एक महत्वपूर्ण उत्सव की तरह मनाया जाता है. सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हुआ था. इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस (National Women’s Day) के रूप में भी मनाया जाता है. उन्होंने देश की आज़ादी के लिए भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement) में सक्रिय रूप से भाग लिया था.
सरोजिनी नायडू की कविताओं ने उन्हें ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ (Nightingale of India) का उपनाम दिया. वह ना केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थीं बल्कि संयुक्त प्रांत, वर्तमान के उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल भी बनीं थीं. सरोजिनी नायडू के काम और योगदान का सम्मान करते हुए, इस दिन को देश में महिलाओं के विकास का जश्न मनाने का प्रतीक भी माना गया है. यह प्रस्ताव भारतीय महिला संघ और अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के सदस्यों द्वारा रखा गया था.
आपको बता दें, कि जब सरोजिनी नायडू स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा थीं, तो उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की थी. उनके कामों को अंग्रेज़ों ने मान्यता दी थी और 1928 के दौरान भारत में आई प्लेग महामारी के समय उनके काम के लिए, उन्हें कैसर-ए-हिंद (Kaiser-i-Hind) पदक से सम्मानित भी किया गया था. उन्होंने महिला सशक्तीकरण के मुद्दे की भी वकालत की और साल 1917 में महिला भारतीय संघ (WIA) को स्थापित करने में मदद की. इतना ही नहीं, सरोजिनी नायडू कांग्रेस (Congress) पार्टी की पहली महिला अध्यक्ष भी थीं. तो चलिए भारत की मज़बूत महिला के रूप में जानी जाती सरोजिनी नायडू के कुछ अनमोल कोट्स पर एक नज़र डालें.
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1. हम अपनी बीमारी से भारत को साफ करने से पहले पुरुषों की एक नई नस्ल चाहते हैं.
2. एक देश की महानता, बलिदान और प्रेम उस देश के आदर्शों पर निहित करता है.
3. हम गहरी सच्चाई का मकसद चाहते हैं, भाषण में अधिक से अधिक साहस और कार्यवाही में ईमानदारी.
4. मैं मरने के लिए तैयार नहीं हूं, क्योंकि जीने के लिए असीम रूप से अधिक साहस की आवश्यकता होती है.
5. जब उत्पीड़न होता है तो केवल आत्म सम्मान की बात उठती है और कहते हैं कि यह आज खत्म हो जाएगा, क्योंकि मेरा अधिकार न्याय है.
6. यदि आप मजबूत हैं तो आपको कमज़ोर लड़के या लड़की को खेलने और काम, दोनों में ही मदद करनी होगी.
7. हम गहरी सच्चाई का मकसद चाहते हैं, भाषण में अधिकार, साहस और कार्यवाही में ईमानदारी चाहते हैं.
8. नींद की भूमि में उस जादुई लकड़ी में बहने वाली शांति की आत्माओं की धाराओं से अपनी लालसा को बुझाने के लिए मैंने खुद को नीचे झुका लिया.
9. वह राष्ट्र जो बंधुआ अन्धकार में रोते हैं. उन लोगों का नेतृत्व करने के लिए तरसते हैं जहां महान सुबह टूटती है.
10. जब तक मेरे पास जीवन है, जब तक मेरी इस भुजा से खून बहता है, मैं स्वतंत्रता का कारण नहीं छोड़ूंगा.
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