
सप्तमी, चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के सातवें दिन को कहा जाता है. इस दिन भक्त मां दुर्गा के सातवें अवतार मां कालरात्रि का उत्सव मनाते हैं और माँ काली की पूजा करते हैं. इस दिन को सातवें दिन के रूप में भी जाना जाता है. मां कालरात्रि का नाम "काली" से लिया गया है, जो कि काली और रात्रि का अर्थ होता है. ये स्वरूप भयंकर लगता है लेकिन उसमें माँ दुर्गा की शक्ति और करुणा होती है.
चैत्र नवरात्रि 2023 के सातवें दिन को भारत के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है, जहाँ लोग माँ कालरात्रि की पूजा करते हैं और उन्हें अलग-अलग प्रकार की भोग-वस्तुएं अर्पित करते हैं. ये दिन धार्मिक तथा सामाजिक रूप से बहुत जरुरी होता है.
चैत्र नवरात्रि 2023 के सातवें दिन को रंगीला सप्तमी भी कहा जाता है. ये नवरात्रि का सातवां दिन होता है जो कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में पड़ता है. इस दिन देवी के सात रूपों की पूजा की जाती है और लोग उनके लिए भोग चढ़ाते हैं.
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चैत्र नवरात्रि 2023 के सातवें दिन भोग प्रसाद परंपराओं के आधार पर अलग-अलग होता है. हालांकि, इस दिन चढ़ाए जाने वाले कुछ सामान्य भोग हैं.
गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग, साबूदाना खिचड़ी जो एक लोकप्रिय व्यंजन है जिसे भिगोकर और पकाए हुए साबूदाना, मूंगफली, आलू और मसालों से बनाया जाता है. खीर, जो चावल, दूध और चीनी से बनी एक मीठी डिश है. इसे अक्सर मेवे और किशमिश से सजाया जाता है और नवरात्रि के दौरान एक लोकप्रिय व्यंजन है. फलों का सलाद- कुछ लोग नवरात्रि के सातवें दिन फलों के सलाद को भोग के रूप में चढ़ाना पसंद करते हैं. ये एक स्वस्थ और ताज़ा विकल्प है.
ये कुछ ऐसे भोग आइटम हैं, जो आमतौर पर चैत्र नवरात्रि 2023 के सातवें दिन चढ़ाए जाते हैं. हालांकि, भक्तों की पसंद और स्थानीय रीति-रिवाजों के आधार पर भोग अलग-अलग हो सकते हैं.
चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन को बहुत उत्साह से मनाया जाता है. लोग रंगों के साथ नाच-गाने का आनंद लेते हैं और देवी के सात रूपों के प्रतिनिधि मूर्तियों को विसर्जन करते हैं.
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