Chaiti Chhath 2023: जानें क्या है चैती छठ पूजा का महत्व

Chaiti Chhath 2023: जानें क्या है चैती छठ पूजा का महत्व
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प्रकृति पूजन और आस्था से जुड़ा यह महापर्व पूरे देश में बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाये जाने वाले त्योहारों में से एक है. इस साल 2023 में चैती छठ (Chaiti Chhath) का महापर्व 25 मार्च से लेकर 28 मार्च तक मनाया जाएगा. आपको बता दें, कि चैती छठ का त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है, पहले कार्तिक मास में और दूसरा चैत्र मास में. 

पंचांग के अनुसार, यह पर्व चैत्र मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. चार दिनों तक लगातार चलने वाले इस पूजा और व्रत के कारण ही इस पर्व को महापर्व कहा जाता है. इस महापर्व में महिलाएं लगभग 36 घंटे से लंबा व्रत करती हैं, इसलिए यह व्रत बहुत कठिन माना जाता है. इस चैती छठ पूजा में हर दिन की पूजा का एक ख़ास और अलग महत्व होता हैं. आइए जानते हैं इसके महत्व के बारे में.

नहाय-खाय 

इस चार दिन के महापर्व के पहले दिन की शुरुआत नहाय खाए से होती है. नहाय खाय का मतलब हैं नहाने के बाद भोजन करना. इस व्रत में साफ सफाई का बहुत ध्यान रखा जाता है और पूरे घर की सफाई की जाती है. फिर उसके बाद शुद्ध जल में स्नान करके चावल, कद्दू और लौकी को प्रसाद के रुप में बनाकर खाया जाता है और अगले दिन खरना का व्रत करने का संकल्प लिया जाता है.

खरना या लोहंडा का व्रत 

26 मार्च के दिन रविवार को खरना यानि लोहंडा किया जायेगा. इस दिन महिलाएं पूरा दिन व्रत रखती हैं और शाम होने पर मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर का प्रसाद बनाकर और भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण करती है. ऐसा करने से शरीर और मन, दोनों स्वच्छ हो जाते हैं. साथ ही यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए भी रख सकती है.

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सूर्य को अर्घ्य

27 मार्च सोमवार के दिन षष्ठी तिथि है. इस दिन अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और शाम के समय महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर है डूबते सूर्य को एक सूप में फल, जल में रोली आदि रखकर अर्घ्य देती हैं. 

चैती छठ महापर्व पारण 

चैती छठ महापर्व का समापन 28 मार्च, दिन मंगलवार को किया जाएगा. इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब में पर पहुंचकर, पानी में उतरकर सूर्यदेव से प्रार्थना करती है और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके साथ ही चैती छठ महापर्व का समापन हो जाता हैं.

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