
ज़ोमैटो (Zomato) ने ग्राहकों से रेस्टोरेंट को 'भैया अच्छा बनाना' जैसे निर्देश नहीं देने को कहा है. इसके बाद, बहुत से कस्टमर्स और यूज़र्स ने ऐप को टैग कर के बहुत सी टिप्पणीयां की. वहीं, इस पर बहुत से लोगों ने प्रतिक्रिया दी कि यह भारतीयों और भोजन के बीच एक पूरी तरह से अलग तरह का संबंध है, जिसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है.
दरअसल डिलीवरी एप्लिकेशन के माध्यम से खाना ऑर्डर करते लोग चाहते हैं, कि उनका खाना रेस्तरां और फूड आउटलेट्स को दिए गए विशेष 'खाना पकाने के निर्देशों' के साथ बनाया जाए. वहीं, हर दूसरे ऐप की तरह ज़ोमैटो में भी एक सेक्शन है जहां लोग अपने पसंदीदा आइटम को अपने कार्ट में जोड़ने के बाद निर्देश दे सकते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि ज़ोमैटो ने यूज़र्स से रेस्तरां को ‘भैया अच्छा बनाना’ जैसे निर्देश नहीं देने के लिए कहा. इसके साथ ही, यह भी लिखा ‘दोस्तों कृपया खाना पकाने के निर्देश के रूप में भैया अच्छा बनाना लिखना बंद करें.’ हालांकि, नेटिज़ेंस ने इसकी विचित्र टिप्पणी का साथ नहीं दिया और इसकी डिलीवरी के साथ-साथ पैकेजिंग शुल्क के लिए टिपण्णी करना शुरू कर दिया.
एक यूज़र ने कहा, कि ‘कृपया डिलीवरी और टैक्स के नाम पर अतिरिक्त पैसे लेना बंद करें’ और एक यूज़र ने कहा ‘कृपया इतने अधिक वितरण शुल्क लेना बंद करें’. वहीं, कुछ ने इसके ट्वीट पर कटाक्ष भी किया कि ‘फिर वह क्या लिखें? क्या यह अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ नहीं है?’ एक अन्य यूज़र ने उनके ऑर्डर किए गए भोजन में मरे कीड़े की एक तस्वीर पोस्ट की और लिखा, ‘मेरे पिछले इंस्ट्रक्शन के अनुसार मैं लिखूंगा भाई, मक्खी मत डालो’.
हाल ही में, एक ट्विटर यूज़र ने ज़ोमैटो की मार्केटिंग रणनीति पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया था, जहां यह गूंगा बिरयानी और भूखा शेर जैसे नामों के साथ अपनी टारगेट ऑडियंस से इंटरैक्ट कर रहा था. इसके अलावा भारत में स्विगी (Swiggy), उबर इटस (Uber Eats) जैसे और भी ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप मौजूद हैं, जो समय-समय पर अच्छे डील्स और ऑफर देते रहते हैं.
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