डिजीटल विभाजन की वज़ह बना कोरोना काल: रवि शंकर प्रसाद

डिजीटल विभाजन की वज़ह बना कोरोना काल: रवि शंकर प्रसाद

रवि शंकर प्रसाद का बड़ा बयान," कोरोना काल ने डिजिटल विभाजन को सामने ला कर खड़ा किया"।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, रविशंकर प्रसाद ने कहा कि,"कोविड -19 महामारी ने डिजिटल विभाजन के मुद्दे को उजागर कर दिया है। इस कोरोना महामारी ने डिजिटल एक्सेस के लिए दुनिया के दृष्टिकोण को समतामूलक समाज के लिए महत्वपूर्ण घटक के रूप में पुन: पेश किया है"। 

डिजीटल कोऑपरेशन एंड कनेक्टिविटी : होल ऑफ सोसायटी अप्रोचेस टू एंड द डिजीटल डिवाइड' पर यूनाइटेड नेशन्स की हाई लेवल मीटिंग में, भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कोरोना काल के दौरान पूरे विश्व में टेक्नोलॉजी के होने की अहम भूमिका को सबके सामने उजागर किया। इस बयान में उन्होंने मुख्य तौर पर बताया कि किस प्रकार टेक्नोलॉजी ने हमारे रहन सहन और जीवन को पहले से कहीं बेहतर बनाया है।

रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि,"महामारी ने न केवल डिजिटल विभाजन के मुद्दे को सामने लाकर रख दिया, बल्कि समतामूलक समाज के अहम घटक के तौर पर डिजिटल पहुंच के हमारे नये दृष्टिकोण को सामने रखा। टेक्नोलॉजी का मतलब समानता की स्थापना करना है न कि विभाजन करना। लेकिन अभी भी दुनिया की लगभग आधी आबादी के पास हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड नहीं है और वह वर्चुअल प्लेटफॉर्म, टेली मेडिसिन, डिस्टेंस एजुकेशन और ई-पेमेंट की पहुंच से वंचित है। हालांकि, टेक्नोलॉजी न्यूट्रल है लेकिन इसका प्रभाव उन विकल्पों पर निर्भर करता है जिसको आज हम इसकी पहुंच और शासन के दायरे के अंदर रहकर इस्तेमाल करते हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम डिजिटल क्रांति को एक ऐसा वातावरण बनाकर सबके सामने पेश करें जहां, कोई भी व्यक्ति इससे वांछित न रह जाए। आज के समय में भारत, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट उपयोग करने वाला देश है, और यह दुनिया का सबसे सस्ता इंटरनेट डेटा टैरिफ प्रदान करने वाला दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता भी है। हम 2025 तक भारत को 1 ट्रिलियन डॉलर वाली डिजिटल अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रख कर चलने की कामना करते हैं"।

इस हाई लेवल मीटिंग में यूनाइटेड नेशन्स की डिप्टी सेक्रेटरी जनरल अमीना मोहम्मद ने कहा कि,"पूरे विश्व में अभी भी 3.7 मिलियन लोग बिना इंटरनेट के रह रहे हैं। इस बड़ी जनसंख्या में ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं। इंटरनेट से वांछित लोगों की इस दिक्कत को कोविड -19 महामारी ने  उजागर किया है। महामारी का सामना करते समय, इंटरनेट का उपयोग किए बिना घर बैठे शिक्षा, घर बैठे आफिस का काम या घर बैठे स्वास्थ्य सेवाओं से लाभ प्राप्त करने में असमर्थ रहे हैं। यदि किसी भी जरूरी कार्रवाई को नहीं किया गया तो ये डिजिटल विभाजन को जन्म दे सकता है। यह आने वाले समय में असमानता का नया चेहरा बन जाएगा"।

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