
देश में Covid-19 के खिलाफ टीकाकरण, अब तक की सबसे अधिकतम गति से जारी है. हाल ही में भारत सरकार ने कहा है, कि इसी साल के अंत तक देश के सभी वयस्कों का टीकाकरण कर दिया जायेगा. लेकिन सरकार का यह महत्वाकांक्षी दावा, क्या वाकई में सच हो सकता है? आंकड़ों को देखें, तो टीकाकरण की गति, सरकार के इस दावे को पूरा करती नहीं दिख रही है. देश में अगर टीकाकरण के कुल आंकड़ों को देखें, तो पूरे देश में Covid-19 वैक्सीन के अब तक करीब 80 करोड़ डोज़ लग चुके हैं. जहां देश में अब तक 40 करोड़ लोगों को सिर्फ पहला डोज मिला है, वहीं मात्र 20 करोड़ लोगों का दोनों डोज के साथ टीकाकरण पूरा हो चुका है. इसका मतलब, देश की केवल 20% जनसंख्या को ही वैक्सीन के दोनों डोज लग पाए हैं. इसके अलावा, करीब 40 % लोगों को सिर्फ पहला डोज ही मिला है.
सरकार को अपने किये गए दावे को पूरा करने के लिए हर दिन 1 करोड़ से भी अधिक वैक्सीन के डोज लगाने की आवश्यकता है. यदि वर्तमान में चल रहे टीकाकरण की रफ़्तार देखें, तो औसतन यह 50 से 60 लाख डोज प्रतिदिन के हिसाब से जारी है. दो दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर भले ही एक बार के लिए टीकाकरण में जबरदस्त उछाल देखने को मिला, जब एक ही दिन में 2 करोड़ से ज़्यादा टीके लगाए गए. लेकिन उसके दो दिन बाद ही, यह आंकड़ा 35 लाख डोज पर वापस आ गया. प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस वाले सप्ताह में भी साप्ताहिक आंकड़ा, 6 करोड़ तक ही पहुँच पाया. सरकार को फ़िलहाल चल रही Covid-19 टीकाकरण की रफ़्तार को लगभग दोगुना करना होगा. इसके लिए केंद्र सरकार ने अब तक अलग से कोई योजना नहीं बनाई है.
मोदी सरकार द्वारा किये गए दावे के लिए केवल टीकाकरण के आंकड़े ही उनके खिलाफ नहीं हैं, इसके अलावा भी कई सारे कारक, आने वाले समय में टीकाकरण की गति को धीमा करते हुए नजर आ रहे हैं.
इन सब कारणों के बाद, आने वाले समय में जब अधिकांश लोगों का टीकाकरण हो चुका होगा, तब इसकी गति में गिरावट भी दर्ज होगी. वहीं, अलग अलग राज्यों में टीकाकरण में दिख रही असामनता भी चिंता का विषय है. कम टीकाकरण वाले राज्यों के, कोरोना की तीसरी लहर का हॉटस्पॉट बनने के आसार भी बढ़ सकते हैं. कुछ उत्तर पूर्वी राज्यों और बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे राज्यों में अभी भी काफी कम संख्या में टीकाकरण किया जा रहा है. इन राज्यों में क़म टीकाकरण, केंद्र सरकार द्वारा साल के अंत तक 100 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण के लक्ष्य में एक समस्या भी बन सकता है.
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