कोरोना की दूसरी लहर में पिछले बार की अपेक्षा कम आर्थिक नुकसान

Closed shops are seen along a strret in Bangalore on April 28, 2021 following Karnataka's government announcement of a 14-day complete lockdown to limit the spread of the Covid-19 coronavirus. (Photo by Manjunath Kiran / AFP) (Photo by MANJUNATH KIRAN/AFP via Getty Images)
Closed shops are seen along a strret in Bangalore on April 28, 2021 following Karnataka's government announcement of a 14-day complete lockdown to limit the spread of the Covid-19 coronavirus. (Photo by Manjunath Kiran / AFP) (Photo by MANJUNATH KIRAN/AFP via Getty Images)

इस बार कम सख्त हैं लॉकडाउन के नियम, लॉकडाउन का असर छोटे स्तर पर 

कोरोना संक्रमण में लगातार वृद्धि से देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है। बढ़ते संक्रमण के चलते राज्यों में लॉकडाउन और कर्फ्यू की घोषणा की गई थी। राज्यों में बंद के कारण, आर्थिक व्यवस्था पर भी असर देखा जा रहा है। हालांकि आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, पिछली बार से कम होगा। 

इस बार कोविड कंटेनमेंट के नियम पिछली  बार के लॉक डाउन जितने कड़े नहीं हैं। हालांकि, सभी राज्य एक एक कर नियमों में सख्ती अपना रहे हैं। महाराष्ट्र और दिल्ली, बड़े पैमाने पर कर्फ्यू लगा चुके हैं। अन्य राज्यों में जिला प्रशासन भी छोटे स्तर पर लॉकडाउन लगा कर संक्रमण की चेन को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। छोटे स्तर पर इस लॉकडाउन का असर रिटेल और थोक व्यापार के क्षेत्र पर ज्यादा पड़ा है। उद्योग और सामान के आवागमन पर रोक नहीं लगाई है, इसी कारण आर्थिक नुकसान पिछली बार की अपेक्षा कम ही हुआ है। 

रेटिंग एजेंसी CRISIL का कहना है कि इस बार देश को पिछली बार की अपेक्षा कम आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। साथ ही यह नुकसान इस बात पर भी निर्भर करेगा कि हम कितनी जल्दी संक्रमण की चेन को तोड लेते हैं। जापान की एजेंसी नोमुरा के अनुसार इस बार ऑनलाइन बिजनेस, वर्क फ्रॉम होम, कृषि क्षेत्र और मैन्युफैक्चरिंग की आर्थिक गतिविधियां पहले के समान ही हैं। इससे आर्थिक नुकसान को कम करने में मदद मिल रही है। वहीं मई 2021 के दूसरे हफ्ते तक संक्रमण की पीक आने और टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद आर्थिक गतिविधियां पहले के समान ही सुचारू रूप से संचालित हो सकेंगी। 

अर्थशास्त्रियों के अनुसार, इस लहर का असर दूसरे रूपों में देखने को मिल सकता है। बढ़ती बेरोजगारी और बढ़ती महंगाई दर पर इसका अप्रत्यक्ष रूप में प्रभाव दिख सकता है। संक्रमण की इस लहर का असर सबसे ज्यादा मजदूर और प्रवासी लोगों पर दिखेगा। फैक्ट्रियों के अचानक बंद होने से उन्हें रोजी रोटी के लिए भटकना पड़ रहा है। 

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