Covid 19 and Economy: ये नए वेरिएंट करेंगे अर्थव्यवस्था पर वार?

Covid 19 and Economy: ये नए वेरिएंट करेंगे अर्थव्यवस्था पर वार?

Covid-19 को भारत में पैर पसारे अब 2 साल से ज्यादा हो चुके हैं. वहीं इस वायरस के नए-नए प्रकार के वेरिएंट इसके खतरे को और ज्यादा बढ़ा रहे हैं. भारत और विश्व में, फ़िलहाल ओमीक्रोन वेरिएंट अपना कहर बरसा रहा है और इस नए वेरिएंट के चलते देश में हर दिन 3 लाख से भी अधिक मामले देखे गए हैं. इसके साथ ही, लगभग सभी राज्यों में किसी ना किसी प्रकार के प्रतिबंध भी लगा रखा है.

हालांकि यह वेरिएंट पहले की तुलना में ज्यादा घातक नहीं नजर आ रहा है, लेकिन तब भी यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है, कि क्या Covid-19 का यह आखिरी वेरिएंट होगा या फिर हमें आगे भी इस तरह के नए वेरिएंट के लिए तैयार रहना होगा? हाल ही में, वैज्ञानिकों ने ओमीक्रॉन के अलावा भी कई सारे नए वेरिएंट के होने की संभावना जताई है.

तो आइए आपको बताते हैं, कि कोरोनावायरस के अब तक कितने वेरिएंट आ चुके हैं और किन-किन वेरिएंट के आने की संभावना है. इसके अलावा, इन नए वेरिएंट का अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, यह जानना भी महत्वपूर्ण है.

Covid-19 के वेरिएंट

कोरोना वायरस के वैसे तो देश में कई सारे अलग-अलग वेरिएंट आ चुके हैं, मगर यह वायरस बहुत जल्दी अपना प्रकार बदल देते हैं. वहीं इनमें से कुछ वायरस के वेरिएंट ऐसे हैं, जो ज्यादा बड़े स्तर पर फैले और जिन्हें WHO के द्वारा "वेरिएंट ऑफ कंसर्न" घोषित किया गया था. इसमें अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा वेरिएंट शामिल है.

वहीं भारत में जिस वेरिएंट के द्वारा सबसे ज्यादा क्षति हुई, वह डेल्टा वेरिएंट है. इसके कारण ही, देश भर में Covid-19 की दूसरी लहर का प्रकोप देखने को मिला था. फिलहाल भारत में और दुनिया भर में भी ओमिक्रोन वेरिएंट का प्रभाव बड़े स्तर पर है. हालांकि वायरस के इस वेरिएंट के कारण मृत्यु दर के मामले में काफ़ी कमजोर है. इस कारण, WHO ने इसे अब तक ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित नहीं किया है.

बावजूद इसके, इस वेरिएंट से आने वाले मामलों की संख्या में कोई कमी नहीं है. वहीं पूरी दुनिया में भी इसके कारण लगने वाले प्रतिबंधों का सिलसिला जारी है. ऐसा बताया जा रहा है, कि यह वैक्सीन लग चुके व्यक्तियों को भी संक्रमित कर रहा है. इस कारण, यह उन देशों में भी फैल रहा है जहां पर बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन हो चुका है.

कोरोना वायरस का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

Covid-19 का आर्थिक प्रभाव भारत के साथ-साथ दुनियाभर पर दिखा था. मगर Covid-19 महामारी की पहली लहर के बाद, देश भर में पूरी तरह से लॉकडाउन लगा दिया गया था, जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा था. वहीं वित्तीय वर्ष 2021 के दौरान, पहली तिमाही (अप्रैल से जून) की जीडीपी दर में भी 24% की बड़ी गिरावट देखी गई थी. यह आजादी के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट थी.

देश को इस दौरान लगभग 32 हजार करोड़ रुपयों का भारी नुकसान हुआ था. मगर दूसरी लहर का आर्थिक प्रभाव देश पर इतना ज्यादा नहीं दिखा. Reserve Bank of India (RBI) के द्वारा लगाए गए नवीनतम अनुमानों के अनुसार, आर्थिक वर्ष 2021-22 की जीडीपी 9.2% रहने के आसार है. वहीं इसका मुख्य कारण पिछले साल की आर्थिक मंदी है, क्योंकि बेस इफेक्ट के चलते जीडीपी में इतनी भारी वृद्धि देखने को मिल सकती है.

जीडीपी के अलावा जो गिरावट साल 2020 में शेयर बाजार में देखी गई थी, वो भी अब पूरी तरह से थमती नज़र आ रही है. वहीं जहां तक Covid-19 के ओमिक्रोन वेरिएंट के आर्थिक असर की बात है, तो अब तक देश के किसी भी राज्य में आर्थिक गतिविधियों पर कड़ा प्रतिबंध नहीं लगा है. इस कारण, ज्यादातर विशेषज्ञों का यह मानना है, कि इसका ज्यादा प्रभाव देश की आर्थिक वृद्धि पर नहीं दिखने का अनुमान है.

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